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भेड़ों की पाठशाला में
गधे गुरु पढ़ा रहे हैं पाठ
विद्वान् मनीषी बुहार रहे हैं आँगन
खोमचेवालों ने वेदों , उपनिषदों के
पन्नों से बना लिया है ठोंगा
बेच रहे हैं माल |
ऋषि भूमि स्तब्ध है
नई शिक्षा प्रणाली पर
कौए , हंस , सिंह , बंदर
सब बैठे हैं एक कतार में
योग्यता , क्षमता है ताक पर
मिलेंगे सबको हर सत्र में
एक जैसे प्रमाण पत्र
बैल लिख रहे हैं सन्दर्भ ग्रन्थ
हो रहा है इतिहास का कायापलट
संस्कृति विदेशी पार्लरों में जाकर
करवा रही है ” मेकओवर ”
” आउटडेटेड ” होने के भय ने
बना दिया है उसे ” माड ”
पाठशाला के संस्थापक
कालिदास और तुलसी से
भरवा रहे हैं पानी
दो कौड़ी की भाषाएँ
नहीं रहीं शिक्षा का माध्यम
शेक्सपियर की गोदी में लेटकर वेदव्यास
सुन रहे हैं ” मर्चेंट आफ वेनिस ” की कहानी
” कबीर ” ने बैठा लिया है ” कीट्स ” को कन्धों पर
गधों ने बढ़ा दिया है देश का गौरव
लगी हुई है शिक्षा की अनूठी हाट
आर्यावर्त की नैया लग गई है
पश्चिम के घाट |
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