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इस इन्तेहा की हद को बार – बार देखिये

ye juban mujh se see nahin jaati ...
ye juban mujh se see nahin jaati ...
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यूँ हो रहा है मौत का व्यापार देखिये
इन कातिलों के खंजरों की धार देखिये |
वे कर रहे हैं आपकी भी ज़िन्दगी के सौदे
है बिक रहा कफ़न भी बेशुमार देखिये |
अंजाम दे रहे जो हँस – हँस के हादसों को
वो हो रहे हैं कैसे शर्मसार देखिये |
नज़रों को अपने इस तरह न फेरिये जनाब
अब जो भी देखिये वो आर – पार देखिये |
लुटते रहेंगे कब तक , मिटते रहेंगे कब तक ?
इस इन्तेहा की हद को बार -बार देखिये

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